केंद्र के दफ्तरों में शुरू होगा काम, बड़ा सवाल-कर्मचारी ऑफ‍िस कैसे पहुंचेंगे?

केंद्र के दफ्तरों में शुरू होगा काम, बड़ा सवाल-कर्मचारी ऑफ‍िस कैसे पहुंचेंगे?

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस के संक्रमण को सामुदायिक प्रसार के चरण तक पहुंचने से रोकने के लिए किए गए देशव्‍यापी लॉकडाउन के कारण अर्थव्‍यवस्‍था को हो रहे नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार ने सोमवार यानी 13 अप्रैल से अपने कार्यालयों में जरूरी कामकाज शुरू करने का फैसला लिया है। इसके लिए सभी मंत्रियों को निर्देश दिए गए हैं वो सोमवार से अपने घर की बजाय अपने मंत्रालयों से सामान्‍य कामकाज निपटाना शुरू करें। काम काज में मंत्रियों की मदद के लिए केंद्र सरकार के संयुक्‍त सचि‍व और उससे ऊपर के स्‍तर के अधिकारियों को भी सोमवार से कार्यालय पहुंचने का आदेश हो गया है। इन अधिकारियों की मदद के लिए निचले स्‍तर के कर्मचारियों को दफ्तर आना पड़ेगा। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार अभी कार्यालयों में एक तिहाई कर्मियों से भी काम चलाने के लिए कहा गया है। इस संबंध में सभी दफ्तरों में आदेश पहुंच चुके हैं।

केंद्र सरकार ने भले ही ये दफ्तरों को खोलने का निर्देश जारी कर दिया हो मगर कार्यालयों को चलाना शायद इतना आसान न हो। दरअसल केंद्र सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्‍सा दिल्‍ली से बाहर एनसीआर के विभ‍िन्‍न शहरों में रहता है और कार्यालय आने जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का इस्‍तेमाल करता है। अभी की स्थिति ये है कि इन सभी शहरों में और खुद दिल्‍ली में भी सार्वजनिक परिवहन के सभी साधन बंद हैं। चाहे दिल्‍ली मेट्रो हो या हरियाणा मेट्रो, डीटीसी हो या निजी बसें, रेलवे की लोकल ट्रेन सेवा हो या एप आधारित कैब सेवा, सभी का परिचालन पूरी तरह बंद है। इन सेवाओं के तत्‍काल शुरू होने की भी उम्‍मीद नहीं है।

जाहिर है कि जिन कर्मचारियों के पास अपनी गाड़ी नहीं है उसके लिए कार्यालय तक पहुंचना आसान नहीं होगा। वैसे केंद्र सरकार द्वारा निकाले गए ऑफ‍िस आर्डर में ये उल्‍लेख है कि कर्मचारियों को दफ्तर की ओर से परिवहन की सुविधा मुहैया कराई जाए और जहां ये सुविधा न मिल पाए वहां कर्मचारी कार पूल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

यहां ये जानना दिलचस्‍प है कि केंद्र सरकार के कार्यालयों में कर्मचारियों या अफसरों के इस्‍तेमाल के लिए गाडि़यों की खरीद तकरीबन बंद हो चुकी है। बहुत ऊंचे रैंक के अधिकारियों को ही कार की सुविधा दी जा रही है। बाकी लोग अपनी गाड़ी या सार्वजनिक परिवहन का ही इस्‍तेमाल करते हैं। जाहिर है कि जब गाड़‍ियां ही नहीं हैं तो सरकारी कर्मचारियों को घर से लाने और पहुंचाने के लिए ये सुविधा मिलनी मुश्किल है। इसके बावजूद यदि सरकार अपने स्‍टाफ के लिए किराए के कारों की व्‍यवस्‍था करती है तो ये सुनिश्चित करना मुश्किल होगा कि ये कारें सही तरीके से सैनिटाइज्‍ड हैं या नहीं। एक गाड़ी में ड्राइवर के अलावा एक से अधिक व्‍यक्ति के बैठने से सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन असंभव हो जाएगा। जाहिर है कि केंद्र सरकार के अधकारियों को ऑफि‍सों में सही तरीके से काम-काज शुरू करने से पहले काफी होमवर्क करने की जरूरत पड़ने वाली है।

 

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